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क्रिकेट के इतिहास में जब भी रफ्तार, स्विंग और जुनून का ज़िक्र होगा, तो एक नाम हमेशा सुनाई देगा – डेल स्टेन। दक्षिण अफ्रीका का यह तूफ़ानी गेंदबाज सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं था, वो एक खौफ़ था… एक तूफान था… जो पिच पर आते ही कहर बनकर टूट पड़ता था। 2004 में जब स्टेन को पहली बार दक्षिण अफ़्रीका की टेस्ट टीम में शामिल किया गया, तो वो युवा, अनगढ़, पर बेहद रफ़्तार वाला गेंदबाज़ था। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पोर्ट एलिज़ाबेथ में खेले जा रहे टेस्ट में उन्होंने अपना डेब्यू किया — और फिर आया वो लम्हा, जब उन्होंने अपना पहला टेस्ट विकेट लिया: मार्कस ट्रेस्कॉथिक। ये वो पल था जिसने एक लड़के को एहसास दिलाया कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में किसी को भी हिला सकता है। मगर यह शुरुआत किसी सुनहरे सफ़र की गारंटी नहीं थी। 2004 से 2005 के बीच स्टेन को सिर्फ़ 3 टेस्ट खेलने का मौका मिला। प्रदर्शन अस्थिर रहा और उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। वो दौर शायद किसी भी खिलाड़ी को तोड़ सकता था — लेकिन स्टेन को इसने बनाया। 2006 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ जब डेल स्टेन को दोबारा टेस्ट टीम में जगह मिली, तब सब कुछ अलग था। ये वो स्टेन नहीं था जो पहले दिखा था। इस नए स्टेन की आंखों में ज़िद थी, आत्मविश्वास था, और एक आग थी जो उसे अंदर से जला रही थी। उस टेस्ट में उन्होंने अपना पहला टेस्ट फाइव विकेट हॉल लिया। उन्होंने 5 विकेट झटके और अपने आलोचकों को चुप करा दिया। यह वही मुकाम था जहां से उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। इसके बाद स्टेन ने टेस्ट क्रिकेट में कहर बरपाना शुरू किया। उनका रन-अप, एकदम सधे हुए कदमों के साथ, और फिर वह जानलेवा इनस्विंग या तेज़ आउटस्विंग गेंद जो बल्लेबाज़ को हिला देती थी — स्टेन धीरे-धीरे एक लीजेंड बनते गए। 2015 की गर्मियों में जब डेल स्टेन अपने करियर के चरम पर थे, क्रिकेट की दुनिया उन्हें एक अजंता की मूर्ति की तरह देख रही थी — पूर्णता का प्रतीक। लेकिन यहीं, किस्मत ने एक और करवट ली। भारत के खिलाफ एक टेस्ट सीरीज़ के दौरान उन्हें कंधे में गंभीर चोट लग गई। वो सिर्फ़ एक आम इंजरी नहीं थी — ये वो मोड़ था जिसने उनके करियर की दिशा ही बदल दी। कंधे की वह चोट इतनी गहरी थी कि उन्होंने मैदान से ज़्यादा वक्त रिहैबिलिटेशन सेंटर्स में बिताना शुरू कर दिया। उन्होंने पूरी ताक़त झोंक दी वापसी के लिए। कभी 2016 में मैदान पर लौटे, तो कभी 2017 में फिर से टूट गए। हर बार जब उन्होंने वापसी की कोशिश की, उनके शरीर ने उन्हें धोखा दिया — लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा। 2019 के वर्ल्ड कप में भी वो स्क्वाड का हिस्सा थे, पर चोट की वजह से एक भी मैच नहीं खेल सके। क्रिकेट प्रेमियों की आँखों में नमी थी — क्योंकि सब जानते थे कि हम उस स्टेन को शायद फिर कभी नहीं देख पाएंगे, जो कभी 150 किमी/घंटे की रफ़्तार से बल्लेबाज़ों के सपनों में भी डर पैदा करता था। 2021 में स्टेन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। उनकी विदाई भले ही शोरगुल से दूर थी, लेकिन उनके पीछे छोड़ी गई विरासत सदा के लिए गूंजती रहेगी। #DaleSteyn #FastBowler #SouthAfrica

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